पाकिस्तान ही क्यों नहीं चले जाते सलमान

     सलमान खान सहित उन तमाम लोगों से गुजारिश है, जो याकूब को बचाना चाहते हैं और हर बार कहीं न कहीं पाकिस्तानयों और पाकिस्तान के पक्ष में खड़े नजर आ जाते हैं, वे पाकिस्तान में ही क्यों नहीं रहना शुरू कर देते। भारत में रहते हुए कभी फिल्मों में तो कभी असल जिंदगी में पाकिस्तान और पाकिस्तानियों का पक्ष प्रत्यक्ष या परोक्ष रुप से क्यों ले रहे हो। 21 जुलाई को प्रकाशित एक इंटरव्यू में सलमान ने कहा है कि उन्हें वे फिल्में पसद नहीं जिनमें पाकिस्तान को बुरा कहा जाता है। 15 अगस्त 2012 को रिलीज हुई कबीर खान निर्देशित फिल्म एक था टाइगर में जनाब भारतीय खूफिया एजेंसी के एजेंस होते हुए पाकिस्तानी खूफिया एजेंसी की एजेंट से प्यार कर बैठे जिसके लिए उन्होंने देश की सेवा छोड़ दी। अब हाल में कबीर खान निर्देशित दूसरी फिल्म में पाकिस्तानी लड़की को पाकिस्तान पहुंचाने के लिए जनाब भारतीय बार्डर सुरंग के जरिये सेना से छुपकर पार करते हैं लेकिन पाकिस्तान में घुसने के लिए बार बार पिटकर भी बगैर सेना की मंजूरी के  बार्डर पार नहीं जाते।
    अब जनाव सलमान खान ने 1993 मुंबई धमाकों के मास्टरमाइंड आतंकी याकूब मेमन की फांसी का विरोध किया है। सलमान का कहना है कि याकूब बेगुनाह है और उसके भाई टाइगर मेमन के गुनाहों की सजा उसे दी जा रही है। सलमान ने शनिवार देर रात 49 मिनट में कुल 14 ट्वीट कर याकूब का सपोर्ट किया। उन्होंने पहला ट्वीट 1:52 AM और अाखिरी ट्वीट 2:41 AM पर किया। सलमान ने ट्वीट कर कहा कि एक बेगुनाह की मौत इंसानियत का कत्ल है। उसके पिता सलीम खान ने याकूब को फांसी का विरोध करने वाले अपने बेटे सलमान खान का बचाव किया। सलीम ने कहा, ""हर व्यक्ति को अपने विचार रखने का हक है। हालांकि, सलमान की राय इस केस में ज्यादा मायने नहीं रखती, क्योंकि उन्हें इसके बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता है।'' सलमान का एक्टर और बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा और रजा मुराद ने भी बचाव करते हुए कहा कि देश में लोकतंत्र है और किसी को भी अपनी बात कहने का हक है। शाहरुख खान ने भी मेमन की फांसी पर आपत्ति जताई है। असल में पेशावर में दिलीप कुमार के घर से तीन मिनट चलने पर एक व्यस्त गली में शाहरुख खान के पूर्वजों का घर है। शाहरुख के पिता ताज मोहम्मद खान का जन्म और परवरिश यहीं हुई। खुद शाहरुख भी किशोरावस्था में यहां कुछ दिन गुजार चुके हैं। उनका जन्म तो दिल्ली में हुआ लेकिन वो अपने रिश्तेदारों से मिलने आए थे। उनकी रिश्ते की एक बहन नूर जहां अब भी इस घर में रहती हैं। वो शाहरुख से मिलने दो बार मुंबई जा चुकी हैं।
     कई सांसदों सहित 40 नामी हस्तियों ने राष्ट्रपति भवन को चिट्ठी लिख याकूब मेमन की फांसी रोकने की अपील की है। इन नामी हस्तियों ने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिख कर कहा है कि याकूब मेमन की फांसी रोक दी जाए।  वृंदा करात, प्रकाश करात, सीताराम येचुरी, राम जेठमलानी और बीजेपी के सांसद शत्रुघ्न सिन्हा सहित 40 लोगों ने इस चिट्ठी पर हस्ताक्षर किए हैं। हैदराबाद से सांसद असादुद्दीन ओवैसी पहले ही याकूब के साथ भेदभाव करने का आरोप लगा चुके हैं। सपा नेता अबू आजमी, परवेज लकड़वाला, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) के उलेमा, मौलाना मेहमूद दरयाबादी, ऑल इंडिया मिली काउन्सिल के महासचिव, मौलाना मुस्तकीन आजमी, जमैतुला उलेमा-ए-हिंद (महाराष्ट्र) सहित कई मेमन को बचाने के प्रयासों में लगे हैं।
    याकूब को बचाने वालों आपको यह जान लेना चाहिए कि मुंबई में 12 मार्च 1993 को सिलसिलेवार 12 धमाके हुए थे, जिसमें 257 लोगों की मौत हुई थी। 1993 में मुंबई में हुए इस ब्लास्ट में याकूब सहित दाउद इब्राहिम, टाइगर मेमन और उसके भाई अयूब मेमन मुख्य षड़यंत्रकारी थे और इन्हें मोस्ट वांटेड अपराधी घोषित कर दिया गया था। टाडा कोर्ट ने 27 जुलाई 2007 को याकूब को आपराधिक साजिश का दोषी करार देते हुए सजा-ए-मौत सुनाई थी। इसके बाद उसने बॉम्बे हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति तक के पास अपील की. लेकिन उसे राहत नहीं मिली। इस धमाके में याकूब के परिवार के चार लोग शामिल थे। सीरियल ब्लास्ट का मुख्य आरोपी याकूब मेमन का बड़ा भाई टाइगर मेमन है जो कि अब भी फरार है। धमाकों के मास्टरमाइंड टाइगर मेमन के भाई याकूब के वकीलों ने अदालत में दलील थी कि वह सिर्फ धमाकों की साजिश में शामिल था लेकिन धमाकों को अंजाम देने में शामिल नहीं था। इस मामले में विशेष टाडा कोर्ट ने 10 अन्य दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी लेकिन उसे सुप्रीम कोर्ट ने उम्र कैद में बदल दिया।
    याकूब का पूरा नाम याकूब अब्दुल रज्जाक मेमन है जो कि पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट था. मेमन इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी से मास्टर्स की पढाई कर रहा है। पिछले साल याकूब मेमन ने एमए  की द्वितीय वर्ष की परीक्षा दी है। 2013 में इग्नू से अंग्रेजी में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की है। इसके बाद याकूब पॉलिटिकल साइंस में फिर से पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहा है। और फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद नागपुर सेंट्रल जेल में बंद है। याकूब की अपनी दूसरे साल की परीक्षा भी नागपुर की सेंट्रल जेल के ‘फांसी यार्ड’ (अतिसुरक्षित जेल, जहां पर कैदी फांसी की सजा का इंतजार करते हैं.) में दी थी। आपको बता दें कि बहुचर्चित कैदी होने के चलते उसे बाहर जाने की अनुमति नहीं है। .
   


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