दशकों से उपेक्षित ऐतिहासिक तालाब के दिन फिरे, बगैर खर्च के हो रहा गहरीकरण
खिमलासा, सागर जिले का ऐतिहासिक स्थान। गढ़मंडला की रानी दुर्गावती के श्वसुर संग्राम सिंह के 52 गढ़ों में से एक। इन्हीं गढ़ों के कारण दुर्गावती का राज्य गढ़मंडला कहलाता था। संग्राम सिंह की मृत्यु 1541 ई. में हुई थी। इन्हीं संग्राम सिंह ने ग्राम में 28 एकड में फैले विशाल तालाब का निर्माण भी कराया। किले के भीतर दो बावड़ियों और किले के बाहर की समस्त बावड़ियों और कुंओं को रिचार्ज करने का पुराना तरीका भी था। 14वीं और 16वीं सदी में यह क्षेत्र मुगलों के अधीन रहा। बाद में खिमलासा, धामोनी और गढ़ाकोटा में मुगल सेना को परास्त कर महाराज छत्रसाल ने अपना राज्य स्थापित किया।1818 के पश्चात यह क्षेत्र ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन था। 1861 में प्रशासनिक व्यवस्था के लिए इस क्षेत्र को नागपुर से मिला लिया गया और यह व्यवस्थ। 1956 तक नए मध्यप्रदेश राज्य के पुनर्गठन तक बनी रही। इन समस्त कार्यकालों में इस तालाब की उपेक्षा होती रही। 1963 में की हिट फिल्म तीसरी कसम फिल्म में इसी तालाब को कुंवारी नदी दिखाया गया है। सजन रे झूंठ मत बोल.... गीत के बोल मशहूर शोमैन राजकपूर और अदाकारा वहीदा रहमान की अ