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Showing posts from September, 2010

मुझे तो आदत है

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SONU PANDIT मुझे तो आदत है आपको याद करने की, अगर हिचकी आए तो माफ़ करना....... ये दुनिया वाले भी बड़े अजीब होते है कभी दूर तो कभी क़रीब होते है दर्द ना बताओ तो हमे कायर कहते है और दर्द बताओ तो हमे शायर कहते है ....... एक मुलाक़ात करो हमसे इनायत समझकर, हर चीज़ का हिसाब देंगे क़यामत समझकर, मेरी दोस्ती पे कभी शक ना करना, हम दोस्ती भी करते है इबादत समझकर मोहब्बत का इरादा अब बदल जाना भी मुश्किल है, तुझे खोना भी मुश्किल है, तुझे पाना भी मुश्किल है. जरा सी बात पर आंखें भिगो के बैठ जाते हो, तुझे अब अपने दिल का हाल बताना भी मुश्किल है, उदासी तेरे चहरे पे गवारा भी नहीं लेकिन, तेरी खातिर सितारेतोड़ कर लाना भी मुश्किल है, यहाँ लोगों ने खुद पे परदे इतने डाल रखे हैं, किस के दिल में क्या है नज़र आना भी मुश्किल है, तुझे ज़िन्दगी भर याद रखने की कसम तो नहीं ली, पर एक पल के लिए तुझे भुलाना भी मुश्किल है

चप्पल की तलाश

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SONU PANDIT कब पूरी होगी इनकी  आरामदायक चप्पल की खोज  बरसों गुजर गये. हजारों बार लड़कियों  को चप्पलों की दुकान पर सिर्फ इसलिए जाते देखा है कि उन्हें  एक कमफर्टेबल चप्पल चाहिये रोजमर्रा के काम पर जाने के लिए! हर बार चप्पल खरीदी भी गई किन्तु उन्हें  कभी  कमफर्टेबल वाली को छोड़ बाकी कोई सी ले ली क्योकि  वह कमफर्टेबल वाली मिली ही नहीं!  अब तक जिस  दुकान  पर गयी थी  वहां दूसरी फेशनेबल वाली दिख गई नीली साड़ी के साथ मैच वाली तो कैसे छोड़ दें?  कितना ढ़ूँढा था इसे और आज जाकर दिखी   तो छोड़ने का तो सवाल ही नहीं उठता ! हर बार कोई ऐसी चप्पल उसे जरुर मिल जाती है जिसे उसने कितना ढूंढा था लेकिन अब जाकर मिली. सब मिली लेकिन एक आरामदायक चप्पल की शाश्वत खोज जारी है. उसे न मिलना था और न मिली. सोचता हूँ अगर उसे कभी वो चप्पल मिल जाये तो एक दर्जन दिलवा दूँगा . जिन्दगी भर का झंझट हटे. लड़कियों की   इसी आदत के चलते यदि मैं अपनी बहन और भाभी के साथ बाज़ार जाता हू तो वहां चप्पल की दुकान दिखते ही मेरी हृदय की गति बढ़ जाती है. कोशिश करता हूँ कि दोनों को किसी और बात में फांसे दुकान से आगे निकल जायें और उस

बस एक तमन्ना

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SONU PANDIT   अगले जनम मोहे कुत्ता कीजो  कुत्ता पूरी पृथ्वी का प्रिय जानवर है , हर घर में एक पिल्ला जो देशी या विदेशी कैसा भी हो , पतली  चेन से बंधा मिल जाता है , दरवाजे के बाहर लिखा मिल जाता है , कुत्तों से सावधान !!! अब , उनसे पूछो , कौन से कुत्ते से क्योंकि जो वफादार है ,वह तो काटेगा नहीं , सिर्फ भौंक कर हमें आगाह करेगा , लेकिन दूसरा अदृश्य कुत्ता बिना भौंके उधेड़ डालेगा . सड़कों पर , गलियों में , पार्कों में कहीं पर भी देख लो , इन कुत्तों के साथ एक आदमी बंधा हुआ घूमता मिल जायेगा ! मुझे कुत्तों से कोई दुश्मनी नहीं है , न ही कभी , उनसे आँखें तरेरी हैं , बल्कि लाड -प्यार जो नि: शब्द हो , निशभाव  हो ,मुझे नहीं भाता. जानवर का क्या भरोसा , अभी पूँछ  हिला कर स्वागत कर रहा है , कब टांग में दांत गडा दे , कहा नहीं जा सकता . यह तो , हमारे भय और संदेह कि बात थी , कुत्तों की महिमा अगर सुननी है ; तो  ऐसे घर में चले जाओ , जिसकी मालकिन कुत्ता संभालती हो . बस , कुत्ता कांड शुरू होकर उसके अध्याय चालू हो जाते हैं , आप जिस उद्देश्य को लेकर घर में घुसे हो , वह तो बाहर ही नदारत हो जाता है . आप भागने