ये हैं देश की मिसाइल गर्ल

रेखा कदम, एक ऐसा नाम जो प्रदेश के औद्योगिक जगत में मिसाइल गर्ल व लौह महिला के नाम से जाना जाने लगा है। अपनी लगन व मेहनत के बल पर मात्र 50 हजार रुपये के प्रारंभिक निवेश से प्रारंभ अपनी कंपनी एसके स्प्रिंग मैन्युफैक्चर्स कंपनी को आज 60 लाख रुपये से अधिक के टर्नओवर पर पहुंचा दिया है। 27 नवंबर 1971 को रिटायर्ड डीआईजी स्व. सीएस कदम के घर जन्मी रेखा ने इंदौर के जीएसआईटीए से सन 2000 में मैकेनिकल इंजिनियरिंग में बीई की पढाई कर खुद का बिजनेस शुरू किया। महिलाओं के लिए कोई
सन 2000 में उन्होंने पूरी मार्केट रिसर्च करने के बाद सांवेर रोड औद्योगिक क्षेत्र में 10 हजार वर्गफीट क्षेत्रफल में एसके स्प्रिंग मैन्युफैक्चर्स कंपनी का आधु़निक प्लांट स्थापित किया। प्रदेश में तो यह इकलौता प्लांट है ही लेकिन देश में भी यहां अपनी तरह का अलग प्रॉडक्शन होता है। देश में चल रहे गिने चुने प्लांट हॉट टेक्नोलॉजी से स्प्रिंग बनाते हैं लेकिन यहां पर कोल्ड तकनीक से यह काम होता है। इस प्लांट की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां कार्य करने वाले सभी कर्मचारी महिलांए ही है। भारतीय सेना की पृथ्वी मिसाइल के निर्माण में कई तरह की स्प्रिंग काम नहीं कर रही थी। उसी समय कैट के माध्यम से रेखा की फैक्टरी में निर्मित स्प्रिंग इस मिसाइल के लिए भेजी गई। रेखा की बनाई स्प्रिंग ने मिसाइल में बखूबी काम किया तो सरकार ने उन्हें मिसाइल गर्ल का टाइटल दे दिया। इसी तरह थ्रोट कैंसर के इलाज में लगने वाली स्प्रिंग 2005 तक विदेशों से आयात होती थी जिसकी कीमत 80 हजार से एक लाख रुपए तक आती थी। रेखा ने यह स्प्रिंग भी बनाई और भारत में ही यह 10 से 15 हजार तक में उपलब्ध होने लगी। चश्में में इस्तेमाल होने वाली स्प्रिंग से लेकन रेल के डिब्बों, मिसाइलों, सेना के हथियारों आदि में उपयोग होने वाली स्प्रिंग की आपूर्ति एसके स्प्रिंग मैन्युफैक्चर्स कंपनी द्वारा की जा रही है। वर्तमान में कंपनी का उत्पादन 0.5 टन प्रतिदिन का है। अब घरेलू बाजार में अपना कारोबार फैलाने के साथ ही रेखा की योजना विदेशी बाजारों में प्रवेश करने की भी है। अगले 5 सालों के दौरान कंपनी का लक्ष्य अपने टर्नओवर को 100 करोड़ रुपये से अधिक करने का है। कृषि क्षेत्र के उपकरणों में उपयोग होने वाले सभी प्रकार की स्प्रिंग के निमार्ण के लिए कंपनी अपनी अलग निमार्ण इकाइ प्रारंभ करने की योजना बान रही है। इसके अलावा ऑटोमोबाइल व पॉवर क्षेत्र पर भी कंपनी की नजर है। रेखा कहती हैं कि महिलाओं को अपनी क्षमता पहचानते हुए प्रत्येक क्षेत्र में आगे आना चाहिए। यदि महिलाएं अपनी क्षमता का उचित इस्तेेमाल करें तो उन्हें सफलता निश्चित तौर पर मिलेगी।
भी कार्य असंभव नहीं न होने में यकीन रखने वाली रेखा कॉलेज में मैकेनिकल इंजिनियरिंग की 60 छात्रों की बैच में मात्र दो लड़कियों में से एक है। उस समय तक मैकेनिकल इंजिनियरिंग का कोर्स पुरुषों के लिए ही सही माना जाता था। 1999 में उन्होंने पीएससी की पास किया जिसमें उन्हें डिप्टी कलेक्टर रैंक मिली लेकिन रेखा ने मन में कुछ अलग करने की ठान रखी थी जिसके चलते उन्होंने नौकरी ज्वाइन नहीं की। कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के पश्चात जब रेखा ने स्प्रिंग निमार्ण का कारोबार करने का फैसला लिया। बहुत से लोगों ने कहा था कि यह क्षेत्र तो पुरुषों का है, तुम किसी अन्य आसान क्षेत्र में अपना कारोबार प्रारंभ करों। लेकिन रेखा ने जो ठाना था वही किया।

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