आठ भाजियों वाले मैनपानी के भाजीबड़े, स्वादिष्ट भी सेहतमंद भी

 अगर आप खाने के शौकीन हैं और आपने सागर के पास मैनपानी के भाजीबड़े नहीं खाए तो यकीन मानिए आपने बुंदेलखंड का असली स्वाद ही नहीं चखा। जिस तरह इंदौर का पोहा, अजमेर की कढी कचौरी, पटना का लिट्‌टी चोखा, अहमदाबाद के थेपले, आगरे का पेठा, इलाहाबाद की तहरी, उरई के गुलाब जामुन और जौनपुर की इमरती प्रसिद्ध है। ठीक उसी तरह मैनपानी के भाजीबड़े स्वाद में किसी भी स्तर पर कमतर नहीं है। 

  बेसन, अजवाइन, धनिया, लालमिर्च, हरीमिर्च, हींग, जीरा और हल्की सौंफ। इसके साथ मैथी, पालक, नोरपा, सरसों, बथुआ, कोचई और लालभाजी सहित कुल आठ भाजी इन भाजीबड़ों का स्वाद बढ़ाती हैं। यह स्वादिष्ट तो हैं ही साथ ही सेहतमंद भी हैं। मैनपानी के शेरसिंह राजपूत करीब 20 सालों से इन्हीं चीजों का मिश्रण तैयार कर रहे हैं। इसके लिए वे रोजाना सुबह 6 बजे से तैयारी करते हैं। तब कहीं जाकर दोपहर 3 बजे मिट्‌टी की भट्‌टी पर भाजीबड़े तलने का काम  शुरू हो पाता है। भाजीबड़े तलने का यह सिलसिला रात करीब 8 बजे तक इसी तरह चलता रहता है। इन पांच घंटों में शेरसिंह 25-30 किलो तक बेसन खपा देते हैं। 

  भाजीबड़े खाने के शौकीनों का आलम यह होता है कि वे 40-50 किमी से यहां खिंचे चले आते हैं। कभी अमरूद कभी केंथा (कबीट) तो कभी देसी हरे टमाटर की चटनी के साथ हर ग्राहक कम से कम 3-4 भाजीबड़े तो मौके पर ही सूत लेता है। फिर जाते जाते 15-20 अपने दोस्तों, घरवालों और रिश्तेदारों के लिए पैक करा ले जाते हैं। 

जिस जगह यह भाजीबड़े बनते हैं, वहां से कुछ दूरी पर राजघाट बांध भी हैं। यहां जो लोग घूमने आते हैं, वे भाजीबड़े भी खा ही लेते हैं। लेकिन इनमें ज्यादातर लोग ऐसे होते हैं, जो भाजीबड़े तलने का सिलसिला शुरू होने का इंतजार करने के लिए राजघाट बांध घूम आते हैं। भाजीबड़ों का इतना महिमा मंडन पढ़ने और सुनने के बाद अगर आपके मुंह में भी पानी आने लगा है और इन्हें खाने की उत्सुकता बढ़ गई है, तो चले आइए मैनपानी और चख लीजिए शेरसिंह के भाजीबड़ों का स्वाद….

 


 


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