उपभोक्ताओं का हक दिला रही हैं उपभोक्ता फोरम

 AVINASH RAWAT
गेहूं, आटा, नमक, चीनी, फल, टेलीविजन, रेफरीजरेटर, टोस्टर, मिक्सर, साइकिल, बिजली, टेलीफोन, परिवहन सेवाएं, थियेटर बनाने और बेचने वाली कंपनियां और लोग भले ही ग्राहक को गिरा हुआ हक और कंज्यूमर को कंज्यूम करके मरने वाला समझती है लेकिन कुछ दशक पहले शुरु हुए कंज्यूमर फोरम उन्हें उनका हक दिला रहा है। 1990 से इंदौर में शुरू हुई जिला उपभोक्ता फोरम में अब तक करीब 25 हजार मामले दर्ज हो चुके हैं। इनमें से 22 हजार से ज्यादा मामलों का डिस्पोजल हो चुका है। इनमें 70 मामलों का डिस्पोजल उपभोक्ताओं के हक में हुआ है। 
  उपभोक्ता संरक्षण एक प्रकार का सरकारी नियंत्रण है जो उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करता है। इंदौर में उपभोक्ताओं के हित संरक्षणों के लेकर 25 साल पहले 21 मई 1990 को इंदौर में जिला उपभोक्ता फोरम शुरू हुई थी। तब से लेकर अब तक यहां 25 हजार से ज्यादा मामले दर्ज हो चुके हैं। इन मामलों में 22 हजार से ज्यादा मामलों का डिस्पोजल हो चुका है जिनमें से 70 फीसदी मामले ऐसे हैं जिनका डिस्पोजल उपभोक्ताओं के हित में हुआ है। उपभोक्ता फोरम इंदौर के ऑफिस सुपरीटेंडेट इंद्रबहादुर सोनी बताते हैं कि 1 मार्च 2015 तक यहां पर 3262 मामले पेंडिंग हैं। इनमें भी ज्यादातर मामले ऐसे हैं जिनकी स्थित उपभोक्ताओं के ही हित में डिस्पोजल की है। 
  उपभोक्ता आंदोलन का प्रारंभ अमेरिका में रल्प नाडेर द्वारा किया गा था। नाडेर के आंदोलन के बाद 15 मार्च 1962 को अमेरिकी कांग्रेस में तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी द्वारा उपभोक्ता संरक्षण पर पेश विधेयक को अनुमोदित किया था। इसी कारण 15 मार्च को अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत में उपभोक्ता आंदोलन को दिशा 1966 में जेआरडी टाटा के नेतृत्व में कुछ उद्योगपतियों द्वारा उपभोक्ता संरक्षण के तहत फेयर प्रैक्टिस एसोसिएशन की मुंबई में स्थापना की गई और इसकी शाखाएं कुछ प्रमुख शहरों में स्थापित की गईं। स्वयंसेवी संगठन के रूप में ग्राहक पंचायत की स्थापना बीएम जोशी द्वारा 1974 में पुणे में की गई। अनेक राज्यों में उपभोक्ता कल्याण हेतु संस्थाओं का गठन हुआ। इस प्रकार उपभोक्ता आंदोलन आगे बढ़ता रहा। 24 दिसम्बर 1986 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पहल पर उपभोक्ता संरक्षण विधेयक संसद ने पारित किया और राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित होने के बाद देशभर में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम लागू हुआ। इस अधिनियम में बाद में 1993 व 2002 में महत्वपूर्ण संशोधन किए गए। इन व्यापक संशोधनों के बाद यह एक सरल व सुगम अधिनियम हो गया है। इस अधिनियम के अधीन पारित आदेशों का पालन न किए जाने पर धारा 27 के अधीन कारावास व दण्ड तथा धारा 25 के अधीन कुर्की का प्रावधान किया गया है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम को अधिकाधिक कार्यरत और प्रयोजनपूर्ण बनाने के लिए दिसम्बर 2002 में एक व्यापक संशोधन लाया गया और 15 मार्च 2003 से लागू किया गया। परिणाम स्‍वरूप उपभोक्ता संरक्षण नियम, 1987 में भी संशोधन किया गया और 5 मार्च 2004 को अधिसूचित किया गया था। भारत सरकार ने 24 दिसम्बर को राष्‍ट्रीय उपभोक्ता दिवस घोषित किया है, क्योंकि भारत के राष्ट्रपति ने उसी दिन ऐतिहासिक उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अधिनियम को स्वीकारा था। अंतर्राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस भारत में यह दिवस पहली बार वर्ष 2000 में मनाया गया और अब प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है।

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