फेमिली ट्री से करें परिवर्तन की श्राद्ध
अविनाश रावत
कुछ दिनों पहले घर में बद्रीनाथ से एक पंडा घर आया। उसके पास
मेरी सात पीढियों का रिकार्ड है। मुझे अपने परदादा तक का नाम मालूम है लेकिन उनके पहले
हमारे रावत परिवार में कौन रहा इसके बारे में किसी को जानकारी नहीं है। तब से दिमाग
में एक बाद परेशान कर रही है कि हम सिर्फ पितृपक्ष के दिनों में ही पूर्वजों को याद
करते हैं। तर्पण और श्राद्ध अर्पित कर ज्ञात-अज्ञात पूर्वजों की आत्मा की शांति की
प्रार्थना कर लेते हैं। इसमें भी रिवाज यह निकल गया है कि पितृपक्ष के दिनों में, इलाहबाद,
बनारस और अंत में बिहार के गयाजी में एक साथ तर्पण करने से हर साल पितृपक्षों में तर्पण
की अनिवार्यता भी समाप्त हो जाता है। इसके बाद इच्छा हो तो जिस तिथि को हमारे पूर्वजों
की मृत्यु हुई पितृपक्ष में उसी तिथि पर श्राद्ध कर सकते हैं। आने वाली पीढ़ियां यह
प्रथा भले ही निभा रही हैं लेकिन उन्हें पूर्वजों के नाम तक याद नहीं होते हैं। ऐसे
में फेमिली ट्री बनवाकर नई पीढ़ी के लिए शिक्षण के साथ ही पूर्वजों परिवर्तन की श्राद्ध
अर्पित कर सकते हैं। पूर्जवों को याद रखने के लिए फेमिली ट्री बनवाना भावुकता पर आधारित
है। वर्तमान परिवेश में लोग अपने पूर्वजों को याद नहीं रख पाते हैं ऐसे में फेमिली
ट्री बनवाकर घर में लगाना सामाजिक सबंधों की जागरूकता है। अपने परिवार के इतिहास को
सहेजने और पुरखों की जानकारी बच्चों तक पहुंचाने के लिए फेमिली ट्री बनवाना बेहतरीन
उपाय है। परिवार के वरिष्ठ सदस्यों और बुजुर्गों से के साथ इलाहाबाद, गया, बद्रीनाथ
जैसे तीर्थ स्थानों से सात पीढ़ियों की जानकारी निकालकर किसी कलाकार से अच्छा फेमिली
ट्री बनवाया जा सकता है। आजकल कई बेवसाइट्स फ्री और चार्जेवल सर्विस के साथ कई तरह
के फेमिली ट्री बनाने में मददगार साबित हो रहे हैं।
इलाहाबाद, बद्रीनाथ, मथुरा, गया, जगदीशपुरी इन पांच स्थानों
के पंडा देशभर के लोगों की सात पीढ़ियों तक की जानकारी सहेजकर रखते हैं। दरअसल इन पांचों
जगहों के पंडों में राज्य, जिला के हिसाब से क्षेत्र बंटा हुआ है। हर राज्य का एक प्रमुख
पंडा होता है उसके बाद उस राज्य के हर जिले के हिसाब से पंड़ा निर्धारत हैं। ये पंड़ा
अपने क्षेत्र के हर परिवार की सात पीढ़ियों तक का रिकार्ड बनाकर रखते हैं। इन पांचों
जगहों पर तीर्थ यात्रा या पिंडदान के लिए जाने वाले लोगों को उनके पुरखों की जानकारी
आसानी से मिल जाती है लेकिन जो लोग पिंडदान या तीर्थ के लिए नहीं जाते उन्हें यह जानकारी
नहीं मिल पाती। भले ही आप कभी इन स्थानों पर न गए हों लेकिन वहां अापकी जानकारी मौजूद
होती है। जब भी आप इन स्थानों पर दर्शनार्थ या पिंडदान के लिए जाते हैं तो आपके क्षेत्र
का पंडा ही आपका पूजा पाठ कराएगा। परिवार और रिश्तेदारी वाले बुजुर्ग सदस्यों से भी
अपने पुरखों की जानकारी लेकर फेमिली ट्री के तौर पर सहेजी जा सकती है। जानकारी और परिवार
के सदस्यों की संख्या के आधार पर तीन से लेकर सात पीढ़ियों तक अलग-अलग तरीकों से फेमिली
ट्री डिजाइन करवाए जा सकते हैं। लिविंग एरिया की मेन वॉल के साथ ही घर के इंट्रेस फायर,
लॉबी इरिया और स्टेयर केस के पास ज्यादातर फेमिली ट्री प्लान किए जा सकते हैं। इन फेमिली
ट्री में परिवार के मूल पुरुष को तने के रूप में दिखाया जाता है। उनके पुत्र-पुत्रियों
को शाखाओं और टहनियों से दर्शाया जाता है। जीवित सदस्य, मृत्यु हो चुके सदस्य और गोद लिए गए सदस्यों की जानकारी रंगों के आधार पर दर्शायी जाती है। ज्यादार लोग फेमिली ट्री
की हरी पत्तिया मुत्यु हो चुके सदस्यों के लिए और लाल पत्तियां जीवित सदस्यों के लिए
दर्शाते हैं। इन्ही के बीच में नीली पत्ती परिवार में गोद लिए गए अौर पीली पत्ती गोद
में दिए गए परिवार के सदस्य को दिखाता है। बेवसाइट्स की मदद से ऑनलाइन फेमिली ट्री
भी बना सकते हैं। इसमें नामों के साथ-साथ फोटो, जन्म-मृत्यु तारीख, शादी की तारीख,
इत्यादि कई तरह की जानकारियां भी डाली जा सकती हैं।
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