राम नाम लिखने की शर्त पर होता है मंदिर में प्रवेश
अविनाश रावत
पिछले दिनों
बंगाली
चौराहे
से
बायपास
की
ओर
जाते
समय
वैभवनगर
में
एक
मंदिर
दिखा
गया।
मैंने
सोचा
अब
तक
इस
मंदिर
में
नहीं
गया
तो
क्यों
न
एक
बार
चलकर
इसे
भी
देख
लिया
जाए।
अपने
एक
दोस्त
के
साथ
जब
मंदिर
तक
पहुंचा
तो
पता
चला
कि
यह
अपने
तरह
का
एक
अजीबोगरीब
मंदिर
हैं।
यहां
भगवानों
के
साथ
साथ
रामायण
और
महाभारत
काल
के
राक्षसों
की
मूर्तियों
की
भी
स्थापना
की
गई
है।
मंदिर
के
द्वार
पर
पहुंचते
ही
इसके
अलग
होने
का
अहसास
शुरू
हो
जाता
है
क्योंकि
यह
प्रवेश
भी
सशर्त
दिया
जाता
है।
मुख्य
द्वार
पर
सूचना
पटल
टंगा
हुआ
था
जिस
पर
लिखा
था
कि
यदि
आपको
यह
अजीबोगरीब
मंदिर
अंदर
से
भी
देखना
है
तो
यहां
आप
108 बार
राम
नाम
लिखने
की
शर्त
स्वीकार
करने
के
बाद
ही
प्रवेश
कर
सकते
हैं।
मंदिर
के परिसर में इसके
लिए
चेतावनी
भरे
बोर्ड
पर
बड़े
बड़ेे
अक्षरों
में
कई
जगह
सूचना
लिखी
हुई
है।
अंदर
से
लौट
रहे
कुछ
लोगों
से
बात
की
तो
पता
चला
कि
मंदिर
में
एक
बार
अंदर
आ
गए
तो
बगैर
राम
नाम
लिखे
आप
बाहर
नहीं
निकल
सकते
यहां
के
पंडित
इसके
लिए
आपको
गालियां
देना
शुरू
कर
दें
तो
भी
कोई
बड़ी
बात
नहीं
क्योंकि
यहां
आने
वाले
सभी
जानते
हैं
कि
राम
नाम
तो
लिखना
ही
पड़ेगा
फिर
भले
ही
आप
कोई
बड़े
नेता
हो
पुरूष
हो
या
कोई
महिला
हैं
इससे
कोई
फर्क
नहीं
पड़ता।
मन
ही
मन
शर्त
स्वीकार
अंदर
गया
तो
देखा
कि
पूरे
मंदिर
में
हर
जगह
राम
नाम
लिखा
हुआ
है
लेकिन
फिर
भी
यहां
रावण
की
विशाल
मूर्ति
बनाई
गई
है
जो
मंदिर
के
खुले
परिसर
में
स्थापित
है।
इस
मूर्ति
के
सामने
ही
शयनअवस्था
में
कुंभकरण,
मेघनाथ
और
विभीषण
की
मूर्तियां
भी
हैं।
इसके
सामने
बने
एक
अन्य
कमरे
में
त्रिजटा,
शबरी,
कैकयी,
मन्थरा
और
सूर्पणखा
की
मूर्तियां
स्थापित
हैं।
इसके
ठीक
पास
में
अहिल्या,मन्दोदरी,
कुन्ती,
द्रोपदी
और
तारा
की
मूर्तियां
रखी
गई
हैं।
लंका
में
विभीषण
के
निवास
स्थान
पर
बनी
गुम्बज
में
अंदर-बाहर
सब
जगह
राम
नाम
लिखा
हुआ
था
इसी
की
तर्ज
पर
यहां
बी
एक
गुम्बज
बनाई
गई
है
जिसमें
ऊपर
नीचे
अंदर-बाहर
हर
तरफ
राम
नाम
लिखा
है।
एक
बोर्ड
शनि
महाराज
का
संदेश
भी
लिखा
है।
इसके
मुताबिक
शनि
महाराज
कहते
हैं
कि
हे
कलियुग
वासियो
तुम
मुझपर
तेल
चढ़ाना
छोड़
दो
तो
मैं
तुम्हारा
पीछा
छोड़
दूंगा।
यदि
तुम
108
बार
राम
नाम
लिखना
शुरू
कर
दो
तो
मैं
तुमको
सारी
विपत्तियों
से
मुक्त
कर
दूंगा।
पूरा
मंदिर
घूमने
के
बाद
सोचा
कुछ
भगवान
की
पूजा
कर
कुछ
दान
दक्षिणा
कर
दूं
लेकिन
पुजारी
ने
बताया
कि
यहां
इस
मंदिर
में
किसी
तरह
का
चढ़ावा
या
प्रसाद
लाने
पर
मनाही
है।
न
तो
एक
भी
दानपेटी
है
न
ही
किसी
को
भगवान
की
अगरबत्ती
लगाने
या
जल
व
प्रसाद
चढ़ाने
की
अनुमति।
जिनकी
ऐसी
कोई
इच्छा
या
मनोकामना
है
वे
बस
108
बार
राम
नाम
लिखे
इतना
काफी
है।
अपने
आपको
राम
की
भक्ति
में
समर्पित
करने
वाले
यहां
के
पुजारी
से
मंदिर
के
बारे
में
पूंछा
तो
उन्होंने
बताया
कि
22
साल
पहले
3
जुलाई
को
मंदिर
निर्माण
की
नींव
रखी
थी।
खुद
का
नाम
रामभक्त
बताने
वाले
पुजारी
जाती
से
जैन
हैं।
वे
बताते
हैं
कि
उन्होंने
नहीं
सोचा
था
कि
इतना
विशाल
मंदिर
बन
जाएगा।
धीरे
धीरे
मंदिर
कैसे
बन
गया
पता
ही
नहीं
चला।
यहां
का
सारा
निर्माण
उन्होंने
अपने
पैसों
से
किया
है।
किसी
से
इसके
लिए
चंदा
नहीं
मांगा
है।
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