क्रेज ऑफ़ इंग्लिश विथ हिंदी






यदि किसी के मन में सचमुच ग्लोबल सिटिजन बनने की लालसा हो तो उसका काम अंग्रेजी के बिना नहीं चल सकता। अंग्रेजी भविष्य का उपकरण है- फ्यूचर टूल। भाषाओं के बारे में किए गए एक मोटे सर्वे से यही नतीजा निकलता है।

दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है चीन की मंदारिन। लगभग 84 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिनकी यह प्राथमिक भाषा है। दूसरे देशों में मातृभाषा को प्राथमिक भाषा (प्राइमरी लैंग्वेज) कहते हैं। यदि इनमें उन लोगों को भी शामिल कर लें जो इसे बोल और समझ सकते हैं, लेकिन जिनके लिए यह सेकंडरी लैंग्वेज है तो मंदारिन भाषियों की संख्या एक अरब से भी ज्यादा हो जाएगी। संयुक्त राष्ट्र में भी यह मान्यता प्राप्त छह भाषाओं में से एक है। लेकिन इसका भौगोलिक विस्तार कम है। यह सिर्फ चीन के एक बड़े हिस्से में बोली जाती है। इसके अलावा तिब्बत, ताइवान, सिंगापुर और ब्रुनेई में भी इसका कुछ-कुछ चलन है।

बोलने वालों के लिहाज से स्पैनिश का नंबर दूसरा है, लेकिन इसका भौगोलिक विस्तार मंदारिन से कहीं ज्यादा है। स्पेन के अलावा यह ब्राजील, चिली, इक्वाडोर, कोस्टारिका, डोमनिकन रिपब्लिक, निकारागुआ, पराग, होंडुरास, गुयाना, ग्वाटामाला और अल सल्वाडोर में भी प्रचलित है। यहां तक कि अमेरिका में भी स्पैनिश बोलने वालों की अच्छी तादाद है।

स्पैनिश 32 करोड़ लोगों की प्राथमिक भाषा है। यदि इसमें सेकंडरी लैंग्वेज वालों को भी जोड़ लें तो पूरी दुनिया में 40 करोड़ से ज्यादा लोग इस भाषा का व्यवहार कर रहे हैं। यूएन की छह मान्यता प्राप्त भाषाओं में से एक स्पैनिश भी है।

मंदारिन और स्पैनिश की तुलना में अंग्रेजी को अपना प्राइमरी लैंग्वेज बताने वालों की संख्या आज भी कम है, वैसे है यह भी 32 करोड़ के आसपास ही। लेकिन इसमें सेकंडरी लैंग्वेज वालों को मिला दें, तो यह स्पैनिश से कहीं ज्यादा लोकप्रिय है। अंग्रेजी का सबसे मजबूत पक्ष है इसका भौगोलिक विस्तार। ब्रिटेन के अलावा उत्तरी अमेरिका, मध्य अमेरिका और अफ्रीका के ज्यादातर देशों में इसे ऑफिशल लैंग्वेज का दर्जा मिला हुआ है। इसके अलावा बहुत सारे देश ऐसे हैं, जहां यह प्रचलन में तो खूब है, लेकिन इसे एकमात्र ऑफिशल लैंग्वेज नहीं माना जाता। ज्यादातर एशियाई देशों में इसे यही दर्जा प्राप्त है।

इस क्रम में हिंदी को आप चौथे नंबर पर रख सकते हैं। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि वह उर्दू, मैथिली और भोजपुरी आदि सबको अपना ही एक रूप माने। इस तरह प्राइमरी लैंग्वेज की तरह हिंदी लगभग दो करोड़ लोगों की भाषा है और सेकंरी लैंग्वेज की तरह इसे अपनाने वालों को मिला लें तो पूरी दुनिया में लगभग साढ़े पांच करोड़ लोग किसी न किसी रूप में हिंदी का व्यवहार कर रहे हैं।

हिंदी भी सिर्फ हिंदुस्तान के कुछ राज्यों तक सिमटी हुई भाषा नहीं है, यह नेपाल, पाकिस्तान, मॉरिशस, त्रिनिदाद, टबेगो, सूरीनाम, फीजी और यूएई में भी किसी न किसी रूप में मौजूद है।

लेकिन सवाल यह है कि फ्यूचर में भारत से निकलने के बाद हम जाना किधर चाहते हैं? जहां-जहां हिंदी है, वहां भी अंग्रेजी के सहारे काम चल सकता है। लेकिन जहां सिर्फ अंग्रेजी या स्पैनिश या इस तरह की कोई और भाषा है, वहां सिर्फ हिंदी के सहारे काम नहीं चल सकता।


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"Don't be afraid that life will be end one day......be afraid that it will be never start again.....so live every movment of life. its not for spend"
SONU PANDIT

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