इंदौर की रंगपंचमी: टैंकर से नहाना और पहचान खोना अनिवार्य है!

जब बाकी देश होली के अगले दिन "अब रंग छोड़ो, काम पर लौटो" मोड में आ जाता है, तब इंदौर की रंगपंचमी का बिगुल बजता है। यहाँ रंगपंचमी महज एक दिन नहीं, बल्कि "अबे होली गई कहाँ? अभी तो असली खेल बाकी है!" वाली भावना का नाम है।

इंदौर में रंगपंचमी मतलब "गैर", और गैर का मतलब?
एक ऐसी जलपरिवार उत्सव परंपरा, जिसमें बिना भेदभाव के सबको टैंकरों से नहलाया जाता है। जिन गलियों में सालभर पानी के लिए लड़ाई होती है, वहाँ रंगपंचमी के दिन पानी की गंगा इस तरह बहती है जैसे सरकार ने टैंकर वालों को मिशन मोड पर भेजा हो—"जितना पानी फेंक सकते हो, फेंको!"

गैर की अटूट परंपराएँ

1. पिचकारी से लेकर टैंकर तक का इवोल्यूशन

बचपन में मोहल्ले में छोटी-छोटी पिचकारियों से रंग छिड़कते थे। जैसे-जैसे उम्र बढ़ी, बकेट आई, फिर पाइप आया, और अब इंदौर ने लेवल बढ़ाकर सीधा टैंकर से स्नान की परंपरा बना ली है! मोहल्लों में एक-दो नहीं, बल्कि पूरे रूट पर टैंकर खड़े रहते हैं, और हर गली से पानी-वाले-मामा का जयघोष सुनाई देता है।

2. रंग छुड़ाने के घरेलू उपाय (जो कभी काम नहीं करते)

रंगपंचमी के बाद सबसे बड़ा चैलेंज होता है— खुद को फिर से पहचानने लायक बनाना।
नहाने के सारे घरेलू नुस्खे फेल हो जाते हैं। बेसन, हल्दी, टमाटर, बेकिंग सोडा, डिटर्जेंट—हर चीज़ ट्राय होती है, लेकिन जब तक रंग उतरता है, तब तक अगली होली की तैयारी शुरू हो जाती है। ऑफिस में जाते ही लोग घूरते हैं, "तू नई जॉइनिंग है क्या?" और खुद बॉस तक पहचानने में कन्फ्यूज हो जाता है।

3. नाचने का राष्ट्रीय परीक्षण (सिर्फ इंदौर के लिए लागू)

गैर में नाचने के नियम साफ हैं— स्टेप मायने नहीं रखते, एनर्जी मायने रखती है।
कुछ लोग ऐसे झूमते हैं जैसे किसी ने 440 वोल्ट का करंट लगा दिया हो, तो कुछ का डांस सिर्फ इसलिए हो रहा होता है क्योंकि उनके पैरों में रंग और पानी जमा हो चुका होता है। डीजे वाले समझ चुके हैं कि "इंदौरी पब्लिक को बस लाउड बीट्स चाहिए!" और फिर बजते हैं ऐसे गाने जो अगले तीन महीनों तक कानों में गूंजते रहते हैं।

4. सड़कों पर फिसलने की आधिकारिक छूट

रंगपंचमी के दिन इंदौर की सड़कें नियॉन गुलाबी, हरी, और पर्पल स्लाइडिंग रैंप में बदल जाती हैं।
हर साल कोई न कोई दोस्त फिसलकर गिरता है और बाकी दोस्त उसे उठाने के बजाय हंसते हुए वीडियो बनाते हैं। कुछ जगह तो इतनी ज्यादा फिसलन होती है कि लोग खुद को केरल के किसी वॉटर पार्क में समझने लगते हैं।

निष्कर्ष: इंदौर की रंगपंचमी – सालभर का रंगीन हैंगओवर

रंगपंचमी इंदौर के लिए सिर्फ एक त्यौहार नहीं, बल्कि एक अनुभव है। एक ऐसा अनुभव जो आपको दो हफ्ते तक गुलाबी पानी से नहलाए रखता है, आपके नाखूनों में तीन महीने तक नीला रंग टिकाए रखता है, और आपकी यादों में ज़िंदगीभर चिपका रहता है।

तो अगली बार इंदौर की रंगपंचमी में अगर आप शामिल हों और कोई पहचान में न आए, तो चिंता मत करना…
"जब तक गुलाबी पानी निकल रहा है, तब तक इंदौरी हो!"

अविनाश रावत
वरिष्ठ पत्रकार

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