280 सालों में दोगुना हो गया गणेश प्रतिमा का आकार

खजराना गणेश मंदिर की प्रतिमा हर साल बढ़ जाती है, जिसके कारण यह विश्वप्रसिद्ध हो गई है। 
1735 में जब मूर्ति की स्थापना हुई थी तब यह तीन फीट लंबी और सवा दो फीट चौड़ी थी। लेकिन अब इसकी ऊंचाई 6 फीट और चौड़ाई 5 फीट के करीब बताई जा रही है। कहा जाता है कि हर साल मूर्ति एक सेंटीमीटर बढ़ रही हैं। आकार बढ़ने को लेकर चर्चाओं के बारे में पता चला है कि यहांं भगवान गणेश की मूर्ति पर चोला चढ़ाने की परंपरा है, इसी वजह से आकार बढ़ रहा है।
जब यहांं भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना की गई थी, तब इनके साथ रिद्धि-सिद्धि की प्रतिमा की भी थीं। लेकिन चोला चढ़ाने की वजह से भगवान गणेश की मूर्ति का आकार बढ़ने लगा और रिद्धि-सिद्धि की प्रतिमा उनके साथ छिप गईं। अब भी मूल मूर्ति में रिद्धि-सिद्धि की आंखें नजर आती हैं।
मंदिर का इतिहास...
खजराना गणेश मंदिर का निर्माण 1735 में तत्कालीन होल्कर वंश की शासक अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था। तत्कालीन पुजारी मंगल भट्ट को स्वप्न आया कि यहांं पर भगवान गणेश की मूर्ति जमीन में दबी हुई है, उसे वहां से निकालो। पुजारी ने दरबार में जाकर स्वप्न की बात अहिल्याबाई को बताई, जिसके बाद उन्होंने सेना भेजकर खुदाई शुरू करवाई। कुछ दिन की खुदाई के बाद यहां से भगवान गणेश की मूर्ति मिली जिसकी स्थापना करवाई गई। मूर्ति निकालने के लिए खोदी गई जगह को कुंड का रूप दिया गया। यह कुंड मंदिर के गेट पर ही है।

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