भारत दर्शन: मुन्नार (केरल)

अविनाश रावत
    मुन्नार केरल का एक प्रमुख पर्वतीय स्थल है। यह इड्डुक्की जिला में आता है। मुन्नार केरल के उन आकर्षणों में से एक है जिसने देश-विदेश के पर्यटकों के बीच केरल को प्रसिद्धि में दिलाई है। जिंदगी की भागदौड़ और प्रदूषण से दूर यह जगह लोगों को अपनी ओर खींचता है।  मुथिरपुझा, नल्लथन्नी और कुंडल इन तीन पर्वतों की श्रृंखला के मिलन स्थल पर स्थित है और समुद्र तल से इसकी ऊंचाई लगभग 1600 मीटर है। मुन्नार का हिल स्टेशन किसी जमाने में दक्षिण भारत के पूर्व ब्रिटिश प्रशासन का ग्रीष्मकालीन रिजॉर्ट हुआ करता था। इस हिल स्टेशन की पहचान है यहां के विस्तृत भू-भाग में फैली चाय की खेती, औपनिवेशिक बंगले, छोटी नदियां, झरनें और ठंडे मौसम। ट्रैकिंग और माउंटेन बाइकिंग के लिए यह एक आदर्श स्थल है।  12000 हेक्टेयर में फैले चाय के खूबसूरत बागान यहां की खासियत है। दक्षिण भारत की अधिकतर
जायकेदार चाय इन्हीं बागानों से आती हैं। चाय के उत्पादन के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए चाय संग्रहालय है जहां इससे संबधित सभी तस्वीरें और सूचनाएं मिलती हैं। इसके अतिरिक्त यहां वन्य जीवन को करीब से देखा जा सकता है। अर्नाकुलम राष्ट्रीय उद्यान में दुर्लभ नीलगिरी बकरों को देखा जा सकता है। यह संग्रहालय टाटा टी द्वारा संचालित है। इस संग्रहालय में 1880 में मुन्नार में चाय उत्पादन की शुरुआत से जुड़ी निशानियां रखी गई हैं। यहां कई ऐतिहासिक तस्वीरें भी लगी हुई हैं। इसके पास ही स्थित टी प्रोसेसिंग ईकाई में चाय बनने की पूरी प्रक्रिया को करीब से देखा व समझा जा सकता है।
इरविकुलम राष्ट्रीय उद्यान
    इरविकुलम राष्ट्रीय उद्यान मुन्नार और इसके आसपास के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। यह मुन्नार से लगभग 15 किमी दूर है और लुप्तप्राय प्राणी – नीलगिरी टार के लिए जाना जाता है। 97 वर्ग किमी में फैला यह उद्यान तितलियों, जानवरों और पक्षियों के अनेक दुर्लभ प्रजातियों का बसेरा है। यह ट्रैकिंग के लिए भी सर्वोत्तम स्थान है। यह उद्यान चाय के बगान और साथ ही लहरदार पर्वतों पर धुन्ध की चादर का एक विस्तृत नजारा पेश करता है। नीलकुरिंजी के फूल खिलने से जब पहाड़ों की ढ़ाल नीली चादर से ढ़क जाती हैं, तब यह उद्यान ग्रीष्मकालीन पर्यटन स्थल बन जाता है। यह पौधा पश्चिमी घाट के इस भाग का स्थानीय पौधा है जिसपर बारह वर्षों में एक बार फूल खिलता है। अंतिम बार यह 2006 में खिला था।
आनामुड़ी शिखर
    आनामुड़ी शिखर इरविकुलम राष्ट्रीय उद्यान में स्थित है। यह दक्षिण भारत का सबसे ऊंचा शिखर है जो 2700 मीटर से अधिक ऊंचा है। शिखर पर चढ़ने के लिए इरविकुलम स्थित वन एवं वन्यजीवन प्राधिकार से अनुमति लेनी पड़ती है।
माट्टूपेट्टी
    मुन्नार शहर से 13 किमी दूर स्थित दूसरा दिलचस्प स्थान है मट्टुपेट्टी। यह समुद्र तल से लगभग 1700 मी की ऊंचाई पर स्थित है। मट्टुपेट्टी अपने स्टोरेज़ मेसनरी बांध और खूबसूरत झील के लिए जाना जाता है जिसमें पर्यटकों के लिए आसपास के पहाड़ों और भू-दृश्यों का मजा लेते हुए आनन्ददायक नौकाविहार की सुविधा है।
माट्टूपेट्टी की प्रसिद्धि का श्रेय इंडो-स्विस लाइवस्टॉक परियोजना द्वारा संचालित डेयरी फार्म को भी जाता है। यहां आप गायों की अधिक दूध देने वाली नस्लें देख सकते हैं। हरेभरे चाय के बगान, ऊंचे-नीचे घास के मैदान, और शोला वन के साथ-साथ माट्टूपेट्टी ट्रैकिंग के लिए भी आदर्श स्थल है और यहां विभिन्न प्रकार के पक्षियों का भी बसेरा है।
पल्लिवासल
    पल्लिवासल मुन्नार के चितिरपुरम से लगभग 13 किमी दूर स्थित है यह केरल का पहला हाइड्रो-इलेक्ट्रिक परियोजना स्थल है। यह स्थल व्यापक प्राकृतिक सुन्दरताओं से भरा पड़ा है और पर्यटकों का पसंदीदा पिकनिक स्थल है।
चिन्नकनाल
    चिन्नकनाल मुन्नार शहर के निकट स्थित है। यहां के झरनें, जिसे आमतौर पर पावर हाउस वाटरफॉल कहा जाता है, खड़ी चट्टान पर समुद्र तल से 2000 मीटर की ऊंचाई से गिरते हैं। यह स्थल पश्चिमी घाट की पर्वत-श्रेणियों के प्राकृतिक दृश्यों से समृद्ध है।
अनयिरंगल
    चिन्नकनाल से लगभग सात किमी आगे बढ़ने पर, आप अनयिरंगल पहुंच जाएंगे। मुन्नार से 22 किमी दूर स्थित अनयिरंगल चाय के हरेभरे पौधों का गलीचा है। शानदार जलाशय की सैर एक अविस्मरणीय अनुभव है। अनयिरंगल बांध चारों ओर से चाय के बगीचों और सदाबहार वन से घिरा है।
टॉप स्टेशन
    मुन्नार से लगभग 3 किमी दूर स्थित टॉप स्टेशन की ऊंचाई समुद्र तल से 1700 मीटर है। मुन्नार-कोडैकनल सड़क पर स्थित यह सबसे ऊंचा स्थान है। टॉप स्टेशन देखने आने वाले पर्यटक मुन्नार को अपना पड़ाव बनाते हैं और इस टॉप स्टेशन से पड़ोसी राज्य तमिलनाडु के विहंगम दृश्यों का आनन्द लेते हैं। मुन्नार में, यहां से विस्तृत क्षेत्र में नीलकुरिंजी के खिले हुए फूलों को देखने के लिए भी यह एक उपयुक्त स्थान है।
चाय संग्रहालय
    चाय बगानों की उत्पत्ति और विकास की दृष्टि से मुन्नार की अपनी अलग विरासत मानी जाती है। इस विरासत को ध्यान में रखते हुए, केरल के ऊंची पर्वत श्रृंखलाओं में चाय बगानों की उत्पत्ति और विकास के कुछ सूक्ष्म और दिलचस्प पहलुओं को सुरक्षित रखने और प्रदर्शनीय बनाने के लिए मुन्नार में टाटा टी द्वारा कुछ वर्ष पहले एक संग्रहालय की स्थापना की गई थी। इस चाय संग्रहालय में दुर्लभ कलाकृतियां, चित्र और मशीनें रखी गई हैं। इनमें से हर एक  की अपनी कहानी है जो मुन्नार के चाय बगानों की उत्पत्ति और विकास के बारे में बताती है। यह संग्रहालय टाटा टी के नल्लथन्नी इस्टेट का एक दर्शनीय स्थल है।

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