फुटबॉल पर ज्यादा सट्टा, मानसून पर कम


danik bhaskarफुटबॉल पर ज्यादा सट्टा, मानसून पर कम

Avinash Rawat
First Published 12:00[IST](11/06/2010)
Last Updated 1:10 PM [IST](11/06/2010)

इंदौर. वर्ल्डकप फुटबॉल और मानसून के आने का समय लगभग एक है। सट्टा बाजार से जुड़े जानकार कहते हैं सट्टा फुटबॉल पर ज्यादा, मानसून पर कम लग रहा है। ऐसा क्यों, पूछने पर वह बताते हैं ‘मानसून तो हर साल आता है।’ इस बार मुंबई में पुलिस के सक्रिय होने से वहां के सटोरिए अन्य शहरों से अपना नेटवर्क चला रहे हैं।पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज सटोरियों पर नजर रखी जा रही है, साथ ही उनके कॉल डिटेल और कॉल रिकॉर्ड भी चेक किए जा रहे हैं। इसलिए वर्ल्डकप में बुकिंग के लिए नए लोगों का नेटवर्क बनाया गया है जो पुलिस की नजर में न हो। इतना ही नहीं, एहतियात के तौर पर लेन-देन का काम राजस्थान से किया जा रहा है। इंदौर के एक सटोरिए ने बताया-आईपीएल के दौरान जो लोग पकड़े गए थे उन पर क्राइम ब्रांच की नजर है और कुछ लोगों की कॉल डिटेल भी ली जा रही है।



ब्राजील 3.90 (सौ रुपए लगाएंगे तो 490 रु. मिलेंगे)



स्पेन 3.70 (सौ रुपए लगाएंगे तो 470 रुपए मिलेंगे)



अर्जेटीना 5.20( सौ रुपए लगाने पर 620 मिलेंगे)



इंग्लैंड 5.90 ( सौ रुपए लगाने पर 690 मिलेंगे)



इटली 9 ( सौ रुपए लगाने पर एक हजार मिलेंगे)



फ्रांस 9 ( सौ रुपए लगाने पर एक हजार मिलेंगे)



दक्षिण अफ्रीका 11 (सौ रुपए लगाने पर 12 सौ मिलेंगे)



पुर्तगाल 11 (सौ रुपए लगाने पर 12 सौ मिलेंगे)



सभी आंकड़े सट्टा बाजार के मुताबिक



ऐसे-ऐसे दांव :



मैच के दोनों हाफ पर अलग-अलग सट्टा भी लगेगा। पहले हाफ में कितने गोल दागे जाएंगे, इस तरह के दावे भी किए जाएंगे। जीत और मैच में कुल गोल पर भी बाजी लगेगी। एक सट्टेबाज के अनुसार ब्राजील, स्पेन, पुर्तगाल, अर्जेटीना और इटली पर सबसे ज्यादा पैसा लगाया जा रहा है। फ्रांस के कुछ खिलाड़ियों पर भी सट्टा लग रहा है।



तुम दांव लगाओ, बाकी मैं संभाल लूंगा



रिपोर्टर और सट्टा एजेंट शिशुपाल के बीच हुई बात



रिपोर्टर : फुटबॉल वर्ल्डकप के मैच पर दांव कैसै लगता है?



एजेंट : किस टीम पर लगाओगे और कितना?



रिपोर्टर : क्या रेट है और मैच देखने के लिए क्या व्यवस्था है?



एजेंट : रेट तो हर टीम का अलग है और हमारा कंट्रोल रुम फिलहाल राजेंद्रनगर में है।



रिपोर्टर : क्या मैं वहां आ सकता हूं?



एजेंट : दांव लगाओ फिर देखते हैं।



रिपोर्टर: अगर उन लोगों को मेरे बारे में पता चल गया तो?



एजेंट : मै संभाल लूंगा।



रिपोर्टर : लेन-देन के बारे में किसी को पता चला तो?



एजेंट : बता दो मेरा नाम भी बता देना, पुलिस वाले पकड़ भी लेंगे तो साबित कैसे करेंगे।



अफ्रीका व पुर्तगाल के सबसे ज्यादा रेट



राजेंद्रनगर के मकान में बना है कंट्रोल रूम, वर्ल्डकप के हर गोल पर सट्टा लगाने की तैयारी शुक्रवार से शुरू हो रहे फुटबॉल वर्ल्डकप में इंदौर से लगने वाले सट्टे में सबसे ज्यादा रेट दक्षिण अफ्रीका और पुर्तगाल की जीत पर दिया जा रहा है, जबकि ब्राजील की जीत पर अब तक सबसे ज्यादा पैसा लगाया गया है।दक्षिण अफ्रीका या पुर्तगाल की जीत पर सौ रुपए लगाने वाले पर 12 सौ रुपए मिलेंगे, जबकि ब्राजील टीम पर सौ रुपए लगाने पर उसकी जीत पर 490 रुपए मिलेंगे। डीबी स्टार ने सटोरियों के बीच पहुंचकर फुटबॉल वर्ल्डकप में लगने वाले सट्टे के माहौल को जानने की कोशिश की तो पता चला इंदौर में राजेंद्रनगर में एक मकान में इस सट्टे का कंट्रोल रूम बनाया गया है। इसके अलावा महू में भी एक कंट्रोल रूम बना है। दोनों कंट्रोल रूम मैच के दौरान आपस में संपर्क में रहेंगे।



अभी वर्ल्डकप का बिगुल बजा भी नहीं कि सिर्फ इंदौर और महू से ही ब्राजील की फुटबॉल टीम पर करीब दस करोड़ रुपए का सट्टा लग चुका है। यह तो सिर्फ शुरुआत है जैसे-जैसे मैचे खेले जाएंगे हर गोल पर सट्टा लगाने की तैयारी है। सट्टे का यह कारोबार इंदौर के साथ महू से भी किया जा रहा है। इसके पीछे खास वजह है कि वहां फुटबॉल प्रेमी ज्यादा हैं इसलिए महू में भी एक कंट्रोल रूम बनाया गया है। सट्टे की बुकिंग महू में ही की जा रही है, इंदौर में तो सिर्फ एजेंट काम कर रहे हैं। हालांकि उद्घाटन मैच में फिलहाल इंदौर से कम पैसा दांव पर लगा है, लेकिन महू में पहले मैच से ही टीमों की हार-जीत पर दांव लगना शुरू हो गया है।



पहचान होने पर ही लगती है बाजी



पुलिस से बचने के लिए सटोरिए सिर्फ अपनी जान-पहचान और नियमित सट्टा लगाने वालों से ही दांव लगाते हैं। सट्टे की हकीकत जानने के लिए हमारे रिपोर्टर ने जब मैच में सट्टा लगाने की बात कही तो उससे पहले पहचान पूछी गई। रिपोर्टर ने सटोरिए के परिचित का रिश्तेदार बनकर बात की।



दस हजार लगाओ तो ज्यादा फायदे में रहोगे



रिपोर्टर और सटोरिए के बीच हुई बात के अंश :-



रिपोर्टर: फुटबॉल में सट्टा कैसे लगेगा।



सटोरिया: क्यों लगाना चाहते हो।



रिपोर्टर: हां लेकिन जानकारी भी चाहता हूं।



सटोरिया : कभी फुटबॉल में सट्टा लगाया है।



रिपोर्टर : नहीं, लेकिन क्रिकेट में लगाया है।



सटोरिया : यह बिलकुल अलग है और क्या जानते हो फुटबॉल के बारे में।



रिपोर्टर: ज्यादा तो नहीं जानता लेकिन टीमों की स्थिति पता है।



सटोरिया : किस टीम पर लगाना चाहते हो।



रिपोर्टर: आप बताओ जिसके जीतने की उम्मीद ज्यादा हो उसी पर लगाऊंगा।



सटोरिया : मेरे विश्वास पर लगा दोगे और बाद में हार गए तो



रिपोर्टर: ऐसा नहीं है थोड़ी- बहुत जानकारी तो है।



सटोरिया : कितना पैसा है।



रिपोर्टर : अभी तो 10 हजार ही लगाना है, ब्राजील पर कितना मिलेगा।



सटोरिया : ब्राजील पर तो 3.90 का रेट चल रहा है।



रिपोर्टर: मुझे कितना मिलेगा।



सटोरिया : 10 हजार लगा रहे हो तो ज्यादा फायदा तो होगा ही।



रिपोर्टर : बीच में किसी मैच में पैसा लगाना हो तब।



सटोरिया : ठीक है अभी तो पैसै जमा करा दो और बीच में किसी मैच में टीम पर पैसा लगाना हो तो बताना।



80 में लगाओ 85 में खाओ



सटोरियों ने अपनी अलग ही भाषा बनाई है। इस भाषा में सट्टा लगाने पर कहा जाता है 80 में लगाओ या 85 में खाओ। 80 में लगाने का मतलब हुआ किसी टीम की जीत पर दस हजार रुपए लगाने से टीम के जीतने के बाद आठ हजार का फायदा और हार जाने पर दस हजार का घाटा। 85 में खाओ से मतलब है किसी भी टीम की हार पर पैसा लगाना। जिस टीम की हार पर पैसा लगाया है मैच में उसकी हार हो जाने पर दस हजार पर साढ़े आठ हजार का फायदा और जीतने पर दस हजार का नुकसान।



सटोरियों के खिलाफ पूरी प्लानिंग से



काम कर रहे हैं



फुटबॉल वर्ल्ड कप में सट्टे की जानकारी हमें भी मिली है। हमारा सूचनातंत्र इसका पता लगाने के लिए काम कर रहा है, लेकिन उसे पकड़ने की रणनीति के बारे में फिलहाल कुछ बता नहीं सकते। आईपीएल के दौरान भी हमने कुछ लोगों को रंगे हाथों पकड़ा था। इस बार भी हम सटोरियों की धरपकड़ के लिए अपनी नीति पर काम कर रहे हैं। सटोरिए अपना अड्डा हमेशा बदलते रहते हैं इसलिए उन्हें पकड़ना थोडा़ मुश्किल होता है लेकिन हम इसके लिए पूरी प्लानिंग के साथ काम कर रहे है। - अरविंद तिवारी/एडीशनल एसपी, क्राइम ब्रांच



क्रिकेट के हो गए फुटबॉल मैदान



हमारे शहर में 15 साल पहले तक युवाओं में फुटबॉल को लेकर जबर्दस्त क्रेज रहता था। इंदौर में इस खेल की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां 32 फुटबॉल क्लब हुआ करते थे, जहां से राष्ट्रीय स्तर के कई बेहतर खिलाड़ी भी निकले हैं। हालांकि अब इन मैदानों पर फुटबॉल की जगह गेंद और बल्ले दिखाई देते हैं। इतना ही नहीं, कई फुटबॉल क्लबों का तो अस्तित्व ही खत्म हो चुका है।



एग्रीकल्चर कॉलेज मैदान



आठ साल पहले तक एग्रीकल्चर कॉलेज के पीछे लगभग 14 एकड़ खाली मैदान पर आदिवासी फुटबॉल क्लब संचालित होता था। 2001-02 में कॉलेज ने अपनी इस जमीन पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, दिल्ली से क्रॉपिंग प्रोग्राम का प्रोजेक्ट लेकर यहां शुरू किया। अब यह मैदान खेत में तब्दील हो चुका है।



खालसा कॉलेज मैदान



यहां राजमोहल्ला फुटबॉल क्लब के खिलाड़ी प्रैक्टिस करते हैं। क्रिकेट की लोकप्रियता के कारण फुटबॉल खिलाड़ियों की संख्या में घटी है। तीन सालों से कोई फुटबॉल टूर्नामेंट भी नहीं हुआ।



चिमनबाग मैदान



स्कूल शिक्षा विभाग के कार्यालय से सटे इस मैदान पर जिला स्तरीय और राज्य स्तरीय टूर्नामेंट होते हैं। इस मैदान का कई बार दुरुपयोग भी हुआ है। सिंहस्थ के दौरान बसों की पार्किग हुई थी।



संयोगितागंज हा.से. स्कूल



रमन वर्मा, पंकज रावरे और नितेश सोनकर जैसे राष्ट्रीय खिलाड़ी इसी मैदान की देन है। हालांकि अब फुटबॉल का अस्तित्व पूरी तरह से मिट चुका है। पिछले पांच सालों से इस मैदान पर नाइट क्रिकेट टूर्नामेंट हो रहे हैं।

http://www.bhaskar.com/article/MP-IND-satta-market-over-football-world-cup-1049552.html

Comments

Popular posts from this blog

बिस्किट, चिप्स और चॉकलेट में एनीमल फेट

मर्यादा पुरूषोत्तम राम की वह विस्मृत बहन !

कल्पनाओं को मूर्त रूप देता है कल्पवृक्ष