प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री जी जरा यहां भी ध्यान दें
नर्मदा , ताप्ती , बेतव , चम्बल , सोन , क्षिप्रा और महानदी जैसी मध्यप्रदेश की प्रमुख नदियों , तालाबों व कुंओं के दूषित होने की प्रमुख वजह इनमें डाला जाने वाला धार्मिक कचरा है। इन नदियों के समीप स्थित धार्मिक स्थलों , गांव और शहरों की जनता पूजा , अनुष्ठान , यज्ञ इत्यादि के बाद निकली सामग्री को पवित्र मानते हैं और उन्हें किसी नदी , तालाब या कुंए में ही विसर्जित करते हैं। यहां तक की जिस पॉलीथिन या बैग में यह पूजन सामग्री , फूल मालाएं इत्यादि रखी जाती है , लोग उसे भी पवित्र मानते हैं और धार्मिक कचरे के साथ इसे भी विसर्जित कर देते हंै। नदी , तालाब व कुंओं को बचाने के लिए प्रदेश स्तर पर पहल धार्मिक कचरे के निपटान की व्यवस्था की जानी चाहिए। इसके लिए जमीन में एक बड़ा गड़डा या किया जा सकता है। इस गड़्डे में सिर्फ धार्मिक कचरा ही डाला जाए। धार्मिक कचरा इकट्ठा करने के लिए गड्डे खोदना , घरों से धार्मिक कचरा इकट्ठा करना और उसे प्रोसेस कर निपटान करने की जिम्मेदारी प्रदेश के गैर सरकारी संगठनों को दी जा सकती है। चूंकि धार्मिक कचरे से लोगों की धार्मिक भावनाएं जुड़ी होती हैं इसलिए वे उसे स्वयं जलाशयों म...