मेरा भारत महान

कैसे कह दूँ
यह वही देश
जिसमे गंगाजल बहता है
है शिष्टाचार समाप्त यहाँ
सच बात न कोई सहता है
आज बाप के आगे बेटा भी
निर्भय होकर कहता है ................
................................................
...............................................
आज बाप के आगे बेटा भी
निर्भय होकर कहता है.........
मेरे सामने वाली खिड़की में एक चाँद का टुकडा रहता है

Comments

Popular posts from this blog

बिस्किट, चिप्स और चॉकलेट में एनीमल फेट

मर्यादा पुरूषोत्तम राम की वह विस्मृत बहन !

कल्पनाओं को मूर्त रूप देता है कल्पवृक्ष