अब दुआएं नहीं देते भिखारी
अब दुआएं नहीं देते भिखारी अविनाश रावत कुछ दिनों पहले डीएनए में एक खबर पढ़ी जिससे पता चला कि इंदौर को भारत के आठ ऐसे शहरों में शामिल किया गया है जिन्हें भिखारी मुक्त बनाया जाएगा। खबर पढ़ते ही एक अलग तरह की खुशी का अहसास अब तक हो रहा है। दरअसल इस खुशी के पीछे एक बहुत बढ़ी वजह है। बात कुछ दिनों पहले की ही है मैं विजयनगर स्थित शर्मा चौपाटी पर खाने-पीने गया था। वहां दोस्तों के साथ कुछ चटपटा खाकर वापस घर जाने के लिए अपनी बाइक पर आकर बैठा ही था कि एक भिखारिन नजदीक आ गयी बस फिर क्या था मैैं अपनी जाने बचाने में लग गया और वह भीख लेने की भरसक कोशिश में। कुछ देर तक उसने भीख के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए लेकिन उसके बाद भी जब मैंने कुछ भी देने से मना किया ही था कि हालत देखने लायक हो गए। गोद में बच्चा लिए वह भिखारिन जो अब तक मुझे तरह-तरह की दुआंए दे रही थी अचानक उसके सुर बदल गए और वह मुझे पता नहीं क्या क्या उल्टा सीधा बोलने लगी। करीब पांच मिनट में उसने मुझे कुंवारा रहने, नौकरी छूटने, दोस्तों से झगड़ा होने और इसी तरह की दस बीस बद्दुआंए दे डाली। हद तो तब हुई जब उसने मेरी गाड़ी स्टार्ट होते ही ए